आंतरिक कक्षों का संयोजन

रसोई कक्ष :-


गृह का मुख्य ऊर्जास्थान घर का भोजन कक्ष होता है प्रायः रसोई कक्ष घर के दक्षिण /पूर्व दिशा (आग्नेय ) में होना चाहिए ।पुर्व दिशा की ओर मुख कर भोजन बनाना चाहिए ।प्लेटफार्म आग्नेय दिशा में होना चाहिए ।रसोइ की मुख्य खिड़की पूर्व दिशा में होना चाहिए ।शिंक ईशान कोण में होना चाहिए घर का राशन समाग्री  नैऋत्य दिशा में रखे ।वायव्य कोण में खाने की मेज रखनी चाहिए ।रसोइ कक्ष का रंग चयन करना हो तो पीला ,सफ़ेद ,गुलाबी ,चॉकलेटी रंग शुभ होता है ।बिजली से सम्बंधित समान ,फ्रिज ,ओवन ,मिक्सी आदि अग्निकोण में शुभ होता है  


पूजा कक्ष :-
प्रायः ईशान दिशा में पूजा कक्ष शुभ माना जाता है ।ज्ञात रहे कक्ष शौचालय के पास न हो या पूजन कक्ष के ऊपर शौचालय न रहे । 
  • मूर्ति का मुख पूर्व ,पश्चिम ,या दक्षिण दिशा में होना चाहिए । 
  • पूजन कक्ष का दरवाजा या खिड़की पूर्व /उत्तर दिशा में होना चाहिए । 
  • लैंप /हवन कुण्ड आग्नेय कोण में शुभ होता है । 
  • कक्ष के ऊपर झंडा नहीं लगाना चाहिए । 
  • भवन सड़क ताल से ऊपर होना चाहिए । 
  • साधना या पूजा पूर्व की ओर मुख करके करना चाहिए । 
  • घर पर कड़ी मूर्ति काम रखे । 
  • गणेश ,भैरव ,कुबेर ,दुर्गा जी का चित्र या विग्रह दक्षिण मुख होना चाहिए । 
  • ब्रम्हा ,विष्णु ,इंद्रा ,सूर्य का मुख पूर्व एवं हनुमान जी का नैऋत्य कोण में होना शुभ होता है |

ड्रॉयिंग रूम :-



  • भवन के पूर्व या उत्तर दिशा में ड्रॉयिंग रूम होना चाहिए । 
  • सोफासेट ,  अलमारी दक्षिण /पश्चिम दिशा में होना चाहिए । 
  • फर्नीचर आयताकार या गोल रखे ।
  •  ईशान दिशा में जल की या झरने की तस्वीर चटकाए । 
  • वीभत्स चित्र दीवारो पर नहीं लगाना चाहिए । 
  • दरवाजे के पीछे गणेश जी का चित्र लगाना शुभ होता है । 
  • कूलर ac घर के पश्चिम कोने पर रखे । 
  • उत्तर /पूर्व की छत नीची रखे । 
मास्टर बेड रूम :-






  • घर के मुखिया या वृद्धजनों का शयन कक्ष घर के दक्षिण भाग पर होना चाहिए । 
  • गृह स्वामी घर के नैऋत्य भाग पर ही सोये । 
  • नैऋत्य भाग या दिशा भरी होता है जो गृहस्वामी के अधिकार को बड़ा बनाता है । 
  • घर के उत्तर भाग में गृहस्वामी न सोये । 
  • उत्तर /पूर्व पूर्णतः वर्जित है । 
  • अथिति घर के उत्तर पश्चिम भाग में सोये ये शुभ होता है 

अध्यन कक्ष :-




  • यह घर के पूर्व या उत्तर दिशा में होना चाहिए । 
  • कमरे का रंग सफ़ेद या नीला होना शुभदायक माना जाता है । 
  • ईशान कोण पर किताबे रखे । उत्तर /पश्चिम दिशा में भी पुस्तके कापी किताबे रखनी चाहिए । 
  • अलमारी या सेल्फ नैऋत्य दिशा में रखना चाहिए 
स्नान घर :-
             


  • स्नानघर घर के उत्तर /पूर्व में बनाये । 
  • शयनकक्ष में दो कमरो के मध्य उत्तर /पूर्व की और रखना श्रेयकर रहता है । 
  • यदि उत्तर दिशा का कमरा हो तो दक्षिण की ओर या दक्षिण कमरा हो तो उत्तर की ओर स्नानगार बनाना चाहिए । 
  • यदि पश्चिम कमरा हो तो पूर्व ,पूर्व कमरा हो तो पश्चिम में स्नानगार बनाना चाहिए 
शौचालय :-
  •  शौचालय घर के वायव्य दिशा में होना सर्वोत्तम माना जाता है 
  •   दक्षिण में माध्यम शुभकारी होता है । 
  •  पानी नैऋत्य दिशा में न रखे । 
  •  शौचालय क शीट दक्षिण या वायव्य कोण पर रखे 
  • ईशान में धन का नाश होता । 
  • आग्नेय में रोग उत्पन्न होता है । 
  • उत्तर में धन का नाश होता है । 

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