मुख्य प्रवेश द्वार



भवन निर्माण में आंतरिक कक्षों का सयोजन 

भूखंड की चार दीवारी  बनाते समय इस बात का अवश्य ख़्याल रखना चाहिए उत्तर/पूर्व की दीवार कम चौड़ी और दक्षिण/पश्चिम की दीवार अधिक चौड़ी होनी चाहिए मैंने भवन निर्माण के दौरान इस विषय पर  विशेष ध्यान रखा था ।भूखंड पूर्वमुखी न हो कर ईशान मुखी था ।इसलिए चारो कोनो के विषय में नाप जोख   में विशेष ध्यान भी रखना पड़ा । भूखंड के दोनों तरफ सड़क हो तो जिस भूखंड की भुजा छोटी हो वही               मुख्या प्रवेश द्वार बनाने से दिशा दोष भंग हो जाता है। 
मुख्य प्रवेश द्वार :-भूखंड में मुख्य प्रवेश द्वार बनाने से पहले पूरी भुजा को 9 बराबर भाग में बाँट कर सातवे भाग में मुख्य प्रवेश द्वार बनाना चाहिए । 

यदि भूखंड में कहीतल घर बनाना हो तो पूर्व या उत्तर दिशा में तलघर अत्यंत ही शुभमाना जाता है 
भूखंड कापूर्व  उत्तरी भाग अधिक खुला होना चाहिए ।तथा दक्षिण और पश्चिम भाग कम खुला 
होना चाहिए । 

भवन में ग्रहो की स्थिति :-

पूजा कक्ष में -सूर्य (ईशान कोण )
स्नानगार -चन्द्र (पूर्व )
भोजनालय /पाकशाला -मंगल (दक्षिण -पूर्व )
बरामदा -बुध (उत्तर )
कोषागार कक्ष -गुरु (उत्तर )
शयन /श्रृंगार /भोजनालय /आराम कक्ष -दक्षिण या पश्चिम के बीच । 
गोशाला /अँधेरा कक्ष -शनि (पश्चिम )

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