वास्तु

वास्तुशास्त्र अर्थात किसी वस्तु को पृथ्वी में बनाने या स्थापित करने का विज्ञान जो धर्म अर्थ ,काम और मोक्ष प्रदान कर जीवन में सुख  ,समृद्धि ,विकास और शांति प्रदान करता है ।यहि वास्तुशास्त्र  कहलाता है यह संसार पंचमहाभूत से बना हुआ है जो ,जल अग्नि ,पृथ्वी और आकाश से बना हुआ है यही पंच तत्व इस संसार के नियामक है । जिसका महत्व पृथ्वी के सभी वस्तु पर भी उतना ही प्रभावशील है जितना की इस ब्रम्हांड के निर्माण में ।

वास्तु शास्त्र का मुख्य आधार दिशा है जिसका निर्धारण करना यानी निर्माणाधीन वस्तु को अंग प्रदान करना है ।घर की दिशा से ही घर की दशा प्रभाव में आता है  जैसे :-

१. अग्नि (पूर्व /आग्नेय कोण ):-वास्तु शास्त्र में अग्नि कोण का विशेष महत्त्व है ।घर का ऊर्जा केंद्र हमारा भोजन कक्ष है ।भोजन पकाने का स्थान ,रेफ्रिजरेटर ,गीजर ,विधुत सामग्री ,जनरेटर आदि रखने का स्थान अग्निकोण है ।यह हमारे गृह का मंगल क्षेत्र है ।यह मानसिक शक्ति का स्त्रोत माना जाता है ।इस दिशा का रंग लाल है ।वास्तु शास्त्र के अनुसार इस दिशा में सफ़ेद ,लाल ,गुलाबी या संतरा रंग का रंगरोगन कराने से इस दिशा का वास्तु दोष समाप्त हो जाता है

२.पृथ्वी (दक्षिण /नैऋत्यकोण  ):-यह जमीन का चौरस स्थान है निर्माण की सभी सामग्री इसी तत्व के अंतर्गत आती है ।मकान का चौरस भाग या छत इसी द्वारा जाना जाता है ।इस स्थान का रंग हल्का पीला होता है ।यह मकान का मध्य भाग माना जाता है ।

३ ज़ल (उत्तर /ईशान ):-जल का सम्बन्ध वर्षा ,नदी  ,समुन्द्र ,जलाशय ,तरल पदार्थ ,बर्फ ,बादल से है ।घर का उत्तर ,ईशान भाग  जलतत्व का प्रतिक माना जाता है ।इस स्थान का रंग उज्जवल  एवंम काला ,ग्रे कलर है ।इस स्थान पर मछली पालने का ताल ,फब्बारे ,या इसकी तस्वीर जिसमे पानी काफी मात्रा में दर्शाया गया हो लगाने से लाभ रहता है ।इस स्थान का ग्रह बुध है ।यह अध्यन कक्ष ,कोषालय ,वादविवाद कक्ष के रूप  उपयोग लाया जा सकता है ।
४. वायु (उत्तर -वायव्य ):-पृथ्वी के चारो ओर ४०० किलो मी की दुरी तक वायुमंडल माना गया है ।जिसमे  २१% आक्सीजन है ।वायु स्थान परिवर्तन का प्रतिक है और पश्चिम व् उत्तर पश्चिम (वायव्य )दिशा का तत्व है प्रायः घर के विवाह योग्य बच्चो के शयन कक्ष का चयन इसी दिशा में करना चाहिए ।
५.आकाश :-यह ब्रम्ह स्थान का घोतक है ।जो घर के ओरिएंटेशन  निर्धारित करता है ।यह घर के खाली स्थान को दर्शाता है ।यह घर का गुरुतत्व है ।

६. लकड़ी :-इसका रंग हरा और दिशा पूर्व है ।यह बसंत ऋतू का प्रतिक है ।यह प्रायः खम्बो वाली इमारतों को दर्शाता है ।ऊँची तस्वीर ,पहाड़ी ,भव्य महल आदि इसी तत्व में आते है ।इसका ग्रह  गुरु है । इस तत्व में खाना खाने का कक्ष ,बच्चो का कमरा ,एवं सोने के कमरे प्रभावित होते है ।

७. धातु :-इसका सम्बन्ध आर्च (गुम्बद )है गोल पहाड़ी की चोटी इसी का प्रतिक है ।इसका रंग सफ़ेद दिशा पश्चिम है यह शरद काल का प्रतिक भी है ।यह शुक्र ग्रह का प्रतिक है ।यह घर के धन क्षेत्र का प्रतिक है

६. लकड़ी :-इसका रंग हरा और दिशा पूर्व है ।यह बसंत ऋतू का प्रतिक है ।यह प्रायः खम्बो वाली इमारतों को दर्शाता है ।ऊँची तस्वीर ,पहाड़ी ,भव्य महल आदि इसी तत्व में आते है ।इसका ग्रह  गुरु है । इस तत्व में खाना खाने का कक्ष ,बच्चो का कमरा ,एवं सोने के कमरे प्रभावित होते है ।

७. धातु :-इसका सम्बन्ध आर्च (गुम्बद )है गोल पहाड़ी की चोटी इसी का प्रतिक है ।इसका रंग सफ़ेद दिशा पश्चिम है यह शरद काल का प्रतिक भी है ।यह शुक्र ग्रह का प्रतिक है ।यह घर के धन क्षेत्र का प्रतिक है |

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